STEM में लड़कियों की बढ़ती हिस्सेदारी – लैंगिक विविधता में सुधार का संकेत

भारत की शिक्षा व्यवस्था में लैंगिक समानता को लेकर लंबे समय से प्रयास किए जा रहे हैं, और अब इसके सकारात्मक परिणाम सामने आने लगे हैं। हाल ही में घोषित हुए 12वीं कक्षा के बोर्ड परीक्षा परिणामों में 2.81 लाख लड़कियों ने विज्ञान विषय में सफलता प्राप्त की है, जो कि एक सराहनीय उपलब्धि है। यह केवल एक आंकड़ा नहीं, बल्कि भारत में STEM (Science, Technology, Engineering, Mathematics) क्षेत्रों में महिलाओं की बढ़ती भागीदारी का प्रतीक है।
यह बदलाव क्यों है महत्वपूर्ण?
विज्ञान विषयों को अब तक लंबे समय तक लड़कों का क्षेत्र माना जाता रहा है। लेकिन अब यह सोच बदल रही है। लड़कियों का विज्ञान विषयों में प्रदर्शन न केवल समानता का संदेश दे रहा है, बल्कि यह भी दर्शा रहा है कि लड़कियां रिसर्च, इनोवेशन और टेक्नोलॉजी में बराबर की भागीदार बन रही हैं।
सफलता के पीछे के कारण
- नीतिगत समर्थन: राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP 2020) के तहत STEM शिक्षा को प्रोत्साहन।
- स्कॉलरशिप और समर्पित कार्यक्रम: INSPIRE, Vigyan Jyoti जैसी योजनाओं का असर।
- प्रेरणादायक रोल मॉडल्स: कल्पना चावला, टेसी थॉमस जैसी महिला वैज्ञानिकों की प्रेरणादायक कहानियां।
- स्कूल स्तर पर साइंस लैब और एक्स्ट्रा कोचिंग: खासतौर पर शहरी व अर्ध-शहरी क्षेत्रों में सुविधाएं बढ़ी हैं।
STEM – भविष्य की दिशा
यह बढ़ती भागीदारी न केवल विज्ञान शिक्षा तक सीमित है, बल्कि यह उच्च शिक्षा, टेक्नोलॉजी सेक्टर, रिसर्च फील्ड और अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा में भी महिलाओं की भूमिका को मज़बूत करेगी। इससे आने वाले वर्षों में अधिक लड़कियां इंजीनियरिंग, मेडिकल, डेटा साइंस, और AI जैसे क्षेत्रों में करियर बनाते हुए दिखाई देंगी।
2.81 लाख लड़कियों का विज्ञान में सफल होना केवल एक शैक्षणिक उपलब्धि नहीं, बल्कि यह एक सामाजिक संकेत है – कि भारत अब लैंगिक असमानता को पीछे छोड़कर एक संतुलित और समावेशी भविष्य की ओर बढ़ रहा है। यह आंकड़ा आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करेगा कि विज्ञान, तकनीक और नवाचार में अब कोई लिंग बाधा नहीं है।
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