भारत में Digitals Skills की बढ़ती दौड़: कोडिंग, AI, डेटा एनालिटिक्स और साइबर सुरक्षा में है अपार संभावनाएं

तारीख: २६ अक्टूबर, २०२३
स्थान: नई दिल्ली

डिजिटल युग में भारत न केवल एक ‘सेवा प्रदाता’ देश के रूप में, बल्कि एक ‘स्किल हब’ के रूप में भी उभर रहा है। कोविड-१९ महामारी ने डिजिटल परिवर्तन (डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन) की गति को अभूतपूर्व रूप से बढ़ा दिया है, जिसके कारण पारंपरिक नौकरियों के साथ-साथ डिजिटल कौशल (Digital Skills) की मांग में भी जबरदस्त विस्फोट हुआ है। एक नए अध्ययन के अनुसार, भारत में कोडिंग, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI), डेटा एनालिटिक्स और साइबर सुरक्षा जैसे क्षेत्रों में प्रतिभा की भारी कमी है, और यही कमी युवाओं के लिए स्वर्णिम अवसर बनकर उभरी है।

कोडिंग, जिसे कंप्यूटर प्रोग्रामिंग भी कहा जाता है, आधुनिक तकनीक की रीढ़ है। पाइथन, जावास्क्रिप्ट, जावा और गो (Go) जैसी प्रोग्रामिंग भाषाओं की मांग लगातार बढ़ रही है। सिर्फ सॉफ्टवेयर कंपनियों में ही नहीं, बल्कि ऑटोमोबाइल, वित्त, स्वास्थ्य सेवा और ई-कॉमर्स जैसे पारंपरिक उद्योगों में भी डेवलपर्स की भारी मांग है। सरकार की ‘डिजिटल इंडिया’ और ‘स्किल इंडिया’ जैसी पहलों ने स्कूल स्तर से ही कोडिंग को बढ़ावा देने का काम किया है, ताकि भविष्य की पीढ़ी तकनीकी रूप से सशक्त बन सके।

AI और मशीन लर्निंग (ML) अब विज्ञान कथा नहीं, बल्कि हमारे दैनिक जीवन का हिस्सा बन चुकी हैं। ऑनलाइन सिफारिशें (जैसे Netflix या Amazon पर), डिजिटल असिस्टेंट (जैसे Google Assistant, Alexa), और फ्रॉड डिटेक्शन सिस्टम – ये सभी AI और ML पर ही आधारित हैं। भारत में AI विशेषज्ञों की मांग में पिछले तीन वर्षों में १००% से अधिक की वृद्धि हुई है। startups से लेकर बड़े कॉर्पोरेट्स, सभी AI का उपयोग अपने व्यवसायों को स्वचालित (Automate) करने, दक्षता बढ़ाने और ग्राहक अनुभव को बेहतर बनाने के लिए कर रहे हैं।

आज का युग डेटा का युग है। हर क्लिक, हर लेन-देन, और हर इंटरैक्शन डेटा उत्पन्न करता है। डेटा एनालिटिक्स इन्हीं कच्चे डेटा को सार्थक अंतर्दृष्टि (Insights) और जानकारी में बदलने का काम करता है। कंपनियां डेटा के आधार पर ही बाजार के रुझानों को समझती हैं, ग्राहकों के व्यवहार का विश्लेषण करती हैं और महत्वपूर्ण व्यावसायिक निर्णय लेती हैं। SQL, Python, R, और डेटा विज़ुअलाइज़ेशन टूल्स (जैसे Tableau, Power BI) में कुशल पेशेवरों की मांग आसमान छू रही है। एक डेटा साइंटिस्ट या डेटा एनालिस्ट के रूप में करियर में अपार संभावनाएं हैं।

जैसे-जैसे दुनिया ऑनलाइन हो रही है, साइबर खतरों का जोखिम भी बढ़ता जा रहा है। रैंसमवेयर, फ़िशिंग, और डेटा उल्लंघन जैसे हमले व्यक्तियों और कंपनियों दोनों के लिए गंभीर खतरा बन गए हैं। इसीलिए, साइबर सुरक्षा विशेषज्ञों की मांग कभी न खत्म होने वाली है। यह क्षेत्र न केवल आकर्षक वेतन पेश करता है, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा में भी इसकी अहम भूमिका है। नेटवर्क सुरक्षा, एथिकल हैकिंग, और क्लाउड सुरक्षा में विशेषज्ञता रखने वाले पेशेवरों का भविष्य उज्ज्वल है।

इस मांग के बावजूद, एक बड़ी चुनौती ‘स्किल गैप’ यानी कौशल अंतर की है। उद्योगों की जरूरतों और शिक्षण संस्थानों के पाठ्यक्रमों के बीच एक स्पष्ट अंतर देखने को मिलता है। इस अंतर को पाटने के लिए सरकार, उद्योग और शिक्षा क्षेत्र को मिलकर काम करने की आवश्यकता है।

  • ऑनलाइन लर्निंग प्लेटफॉर्म: कौर्सेरा, अपस्किल, और ग्रेट लर्निंग जैसे प्लेटफ़ॉर्म ने विश्व स्तरीय शिक्षा को सस्ती और सुलभ बनाया है।
  • सरकारी पहल: पीएम कौशल विकास योजना और फ्यूचरस्किल्स प्राइम जैसे कार्यक्रम युवाओं को प्रशिक्षित करने पर केंद्रित हैं।
  • कंपनी प्रशिक्षण: कई कंपनियां अब अपने कर्मचारियों को फिर से स्किल (Reskill) और अपस्किल (Upskill) करने में निवेश कर रही हैं।

भारत के युवाओं के लिए यह सुनहरा मौका है। डिजिटल कौशल सिर्फ एक नौकरी पाने का जरिया नहीं, बल्कि भविष्य की अर्थव्यवस्था में सक्रिय भागीदार बनने का टिकट है। जो कोई भी इन क्षेत्रों में अपना कौशल विकसित करेगा, उसके लिए न केवल भारत में, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी अवसरों के द्वार खुलेंगे। डिजिटल भारत का सपना तभी साकार होगा जब हम एक कुशल और डिजिटल रूप से साक्षर युवा पीढ़ी तैयार करेंगे।


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