विजय कुमार मल्होत्रा का जीवन और राजनीति – एक विरासत

प्रारंभिक जीवन और शिक्षा
विजय कुमार मल्होत्रा का जन्म 3 दिसंबर 1931 को पंजाब प्रांत के लाहौर में हुआ। विभाजन से पहले उनका परिवार वहीं रहा, लेकिन 1947 के दौरान विभाजन की अशांति के बाद उनका परिवार दिल्ली आकर बसा। बचपन से ही उन्होंने संघर्षों का सामना किया।
शिक्षा में उन्होंने गहरी रुचि दिखाई। हिन्दी भाषा, सामाजिक अध्ययन, और राजनीति में अध्ययन उनकी युवा पीढ़ियों के लिए प्रेरणा रही। शिक्षा ने उन्हें विचारशीलता, अनुशासन और सशक्त संवादक बनाया।
राजनीति की शुरुआत और दिल्ली से जोड़
मल्होत्रा राजनीति में शुरुआती दिनों से सक्रिय रहे। उन्होंने जनसंघ आंदोलन के समय से ही राजनीति की बुनियाद रखी। भाजपा के गठन के बाद वे पार्टी के मजबूत स्तंभ बने।
दिल्ली की राजनीति में उनका नाम विशेष रूप से जुड़ा। उन्होंने दिल्ली भाजपा को संगठित करने, स्थानीय नेतृत्व को सुदृढ़ करने और पार्टी को Grassroots स्तर तक पहुँचाने में अपनी मेहनत लगाई।
लोकसभा, विधानसभा और महत्वपूर्ण मुकाबले
लोकसभा में सफलता
विजय कुमार मल्होत्रा 5 बार लोकसभा सांसद रहे। उन्होंने दक्षिण दिल्ली और अन्य निर्वाचन क्षेत्रों से जनता का विश्वास प्राप्त किया।
1999 की लोकसभा चुनाव में एक ऐतिहासिक क्षण आया — उन्होंने तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को दक्षिण दिल्ली सीट से पराजित किया। यह जीत उनकी लोकप्रियता, संगठन शक्ति और जनता से जुड़ाव की पहचान बनी।
दिल्ली विधानसभा और मुकाबले
उन्होंने दिल्ली विधानसभा में भी अपनी जगह बनाई — दो बार विधायक रहना, विपक्ष नेता का दायित्व संभालन, और 2008 में भाजपा द्वारा दिल्ली मुख्यमंत्री उम्मीदवार घोषित करना — ये सब उनकी राजनीतिक यात्रा की महत्वपूर्ण पड़ाव रही।
ग्रेटर कैलाश क्षेत्र से जीत ने भाजपा को दिल में बल दिया।
खेल एवं प्रशासन में भूमिका
राजनीति के अलावा, विजय कुमार मल्होत्रा खेलों के क्षेत्र में भी सक्रिय रहे। वे भारतीय ओलम्पिक संघ (IOA) के प्रमुख चेहरों में शामिल थे। विवादों के बीच उन्होंने IOA का कार्यवाहक अध्यक्ष पद संभाला।
अलग-अलग खेल महासंघों, खेल संचालन समितियों और खेल संगठनों के लिए उन्होंने मार्गदर्शन किया। युवाओं को खेलों के ज़रिये आगे लाने की उनकी कोशिशें आज भी प्रेरणा देती हैं।
व्यक्तित्व, आदर्श और लोकप्रियता
मल्होत्रा न केवल एक राजनेता थे बल्कि एक ऐसे नेता भी, जो सरलता, ईमानदारी, और जनता से जुड़े रहने में विश्वास रखते थे।
- उन्होंने विवादों से दूरी बनाई।
- उनका संवाद सरल और जनोपयोगी रहा।
- उन्होंने युवा नेताओं को मार्गदर्शन दिया और पार्टी अनुशासन में योगदान दिया।
- उनकी छवि एक आदर्श नेता की रही — धैर्यवान, न्यायप्रिय और लोक-सम्बद्ध।
अंतिम दिन, प्रतिक्रिया और शोक
30 सितंबर 2025 की सुबह दिल्ली के AIIMS अस्पताल में उन्होंने अपनी अंतिम सांस ली। वे 93 वर्ष के थे। उनकी देह को राजकीय सम्मान के साथ विदा दी गई।
देशभर के नेताओं, साथियों और जनता ने उनके निधन पर दुख व श्रद्धांजलि व्यक्त की। उनके जीवन के विविध पहलुओं को याद किया गया — राजनीति से लेकर खेल और सामाजिक क्षेत्र तक।
प्रमुख पड़ाव
वर्ष / घटना | विवरण |
1931 | जन्म — लाहौर |
1947 | विभाजन के बाद दिल्ली आकर बसना |
प्रारंभिक वर्ष | जनसंघ सक्रियता, पार्टी निर्माण |
विभिन्न वर्ष | लोकसभा सांसद, दिल्ली विधायक |
1999 | मनमोहन सिंह को दक्षिण दिल्ली से पराजित करना |
2008 | भाजपा द्वारा दिल्ली सीएम उम्मीदवार |
बाद के वर्ष | खेल प्रशासन में सक्रियता, IOA कार्यवाहक अध्यक्ष |
2025 | निधन — 30 सितंबर |
एक प्रेरणा
विजय कुमार मल्होत्रा का जीवन हमें यह सिखाता है कि राजनीति केवल सत्ता के लिए नहीं, सेवा और समाज के लिए हो सकती है। उन्होंने दिल्ली भाजपा को सुदृढ़ किया, खेलों में युवा प्रतिभाओं को बढ़ावा दिया और जनता से संवाद को कभी नहीं छोड़ा।
उनकी विरासत आज भी नए नेताओं और कार्यकर्ताओं के लिए प्रेरणा है — कि कैसे हर चुनौती को धैर्य और सिद्धांतों से पार किया जाए।
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