आईआईटी-जेएएम में सफलता पाने वाले अटल कुमार की प्रेरणादायक कहानी: कभी घोड़े-खच्चर चलाते थे केदारनाथ में, अब बनी नई पहचान

उत्तराखंड के छोटे से गाँव के रहने वाले अटल कुमार ने यह साबित कर दिया कि मेहनत और लगन से किसी भी मुकाम को हासिल किया जा सकता है। कभी केदारनाथ में घोड़े-खच्चर चलाने का काम करने वाले अटल कुमार ने आज अपनी कड़ी मेहनत और संघर्ष के दम पर आईआईटी-जेएएम (IIT JAM) परीक्षा में 649वीं रैंक हासिल कर पूरे क्षेत्र का नाम रोशन कर दिया है।

अटल कुमार का जन्म एक साधारण परिवार में हुआ। आर्थिक स्थिति इतनी मजबूत नहीं थी कि उन्हें अच्छे संसाधन या सुविधाएं मिल सकें। स्कूल के दिनों में ही पढ़ाई के साथ-साथ वह केदारनाथ में श्रद्धालुओं के लिए घोड़े-खच्चर चलाने का काम करते थे। उनके पिता भी इसी काम में लगे हुए थे। परिवार के भरण-पोषण के लिए अटल को कई बार अपनी पढ़ाई से समझौता करना पड़ा।

पढ़ाई के प्रति जुनून

हालांकि आर्थिक दिक्कतों के बावजूद अटल के मन में पढ़ाई के लिए गहरा जुनून था। कठिन परिस्थितियों में भी उन्होंने पढ़ाई जारी रखी। जब दूसरों के बच्चे कोचिंग और ऑनलाइन क्लास का सहारा लेते थे, अटल ने जंगल में बैठकर और खाली समय में स्व-अध्ययन कर अपने सपनों को जीवित रखा।

सफलता की कहानी

अटल ने बीएससी (फिजिक्स) की पढ़ाई के दौरान आईआईटी-जेएएम परीक्षा की तैयारी शुरू की। खुद किताबें जुटाईं, ऑनलाइन नोट्स बनाए और हर एक टॉपिक को समझकर मेहनत से पढ़ाई की। आखिरकार उनकी मेहनत रंग लाई और उन्होंने देश की प्रतिष्ठित परीक्षा में 649वीं रैंक प्राप्त की।

समाज के लिए प्रेरणा

आज अटल कुमार न सिर्फ अपने परिवार, बल्कि पूरे पहाड़ी क्षेत्र के युवाओं के लिए प्रेरणा बन चुके हैं। उन्होंने यह साबित किया कि चाहे हालात कितने भी कठिन क्यों न हों, मजबूत इच्छाशक्ति और मेहनत से हर सपना पूरा हो सकता है।

अटल का संदेश

अटल कुमार का कहना है, अगर आपके इरादे मजबूत हों और आप अपने लक्ष्य के प्रति ईमानदार हों, तो कोई भी बाधा आपको नहीं रोक सकती।”

उनकी कहानी उन तमाम युवाओं के लिए संदेश है, जो कमजोर परिस्थितियों को अपनी हार मान बैठते हैं।


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