भारत में कफ सिरप त्रासदी: जहरीले Coldrif से बच्चों की मौतों ने खड़ा किया बड़ा सवाल

नई दिल्ली, 10 अक्टूबर 2025 — भारत में कफ सिरप से जुड़ी दर्दनाक घटनाओं ने देश को झकझोर कर रख दिया है। कई राज्यों में बच्चों की मौतें सामने आने के बाद स्वास्थ्य विभाग और विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने गहराई से जांच शुरू की है। प्रारंभिक रिपोर्टों में सामने आया है कि Coldrif सिरप में खतरनाक रसायनों की मौजूदगी बच्चों की जान ले रही है।

Coldrif: क्या हुआ था?

पिछले कुछ हफ्तों में पाँच वर्ष से कम आयु के कई बच्चों की मौत कफ सिरप पीने के बाद हुई। जांच में पाया गया कि इन Coldrif सिरपों में डाइएथिलीन ग्लाइकोल (DEG) नामक विषैला रसायन मानक सीमा से कई गुना अधिक मात्रा में था। यह रसायन शरीर में जाकर किडनी और नर्व सिस्टम को नुकसान पहुँचाता है।

डाइएथिलीन ग्लाइकोल कितना खतरनाक है

डाइएथिलीन ग्लाइकोल का इस्तेमाल सामान्य रूप से औद्योगिक उपयोग के लिए किया जाता है, लेकिन यदि यह दवाओं में मिल जाए तो यह अत्यंत जहरीला साबित होता है। यह शरीर में गुर्दों की विफलता, सांस लेने में दिक्कत और अंततः मौत का कारण बन सकता है।

दवा निर्माण कंपनियों पर आरोप है कि उन्होंने पर्याप्त गुणवत्ता जांच किए बिना दवाएं बाजार में उतार दीं। जांच एजेंसियों ने कई कंपनियों के लाइसेंस निलंबित कर दिए हैं। केंद्र सरकार ने सभी राज्यों को निर्देश दिया है कि बाजार में मौजूद सिरप के सैंपल तुरंत एकत्र कर उनकी जांच कराई जाए।

कहां हुई लापरवाही

दवा निर्माण कंपनियों पर आरोप है कि उन्होंने पर्याप्त गुणवत्ता जांच किए बिना दवाएं बाजार में उतार दीं। जांच एजेंसियों ने कई कंपनियों के लाइसेंस निलंबित कर दिए हैं। केंद्र सरकार ने सभी राज्यों को निर्देश दिया है कि बाजार में मौजूद सिरप के सैंपल तुरंत एकत्र कर उनकी जांच कराई जाए।

भारत की दवा उद्योग पर असर

भारत विश्व का तीसरा सबसे बड़ा दवा उत्पादक देश है। देश की जेनेरिक दवाएं सस्ते और प्रभावी विकल्प मानी जाती हैं। लेकिन इस घटना ने भारत की फार्मा इंडस्ट्री की छवि को झटका दिया है। विशेषज्ञों का मानना है कि अब भारत को दवा गुणवत्ता नियंत्रण प्रणाली को और मजबूत करना होगा।

Coldrif: सरकार की कार्रवाई और लोगों के लिए सलाह

स्वास्थ्य मंत्रालय ने निर्देश दिया है कि बच्चों को बिना डॉक्टर की सलाह के कोई भी खांसी या सर्दी की दवा न दी जाए। सभी राज्यों में औषधि निरीक्षण अभियान चलाया जा रहा है। डॉक्टरों ने माता-पिता से अपील की है कि वे केवल मान्यता प्राप्त कंपनियों की दवाओं का ही उपयोग करें।

यह घटना न केवल भारत की दवा उद्योग की निगरानी व्यवस्था पर सवाल उठाती है बल्कि भविष्य में बच्चों की सुरक्षा के लिए कड़े कदम उठाने की आवश्यकता को भी दर्शाती है। सरकार और उद्योग दोनों को मिलकर दवा की गुणवत्ता और सुरक्षा मानकों को सख्ती से लागू करना होगा ताकि ऐसी त्रासदियाँ दोबारा न हों।


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