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MSDE की नई Skill Policy Draft (2025–2035) – शिक्षा और रोजगार के बीच की दूरी होगी कम

भारत सरकार के कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय (MSDE) ने एक नई राष्ट्रीय स्किल डेवलपमेंट और एंटरप्रेन्योरशिप नीति 2025–2035 का मसौदा (Skill Policy Draft) जारी किया है। यह पॉलिसी अगले दस वर्षों के लिए देश की स्किलिंग रणनीति की रूपरेखा तैयार करती है, जिसका उद्देश्य शिक्षा और कौशल के बीच तालमेल बढ़ाना, रोजगार योग्य युवाओं की संख्या में वृद्धि करना और कौशल विकास को नई दिशा देना है।


इस नीति का मुख्य उद्देश्य है:

  • स्किलिंग को शिक्षा से जोड़ना
  • युवाओं की नौकरी पाने की क्षमता बढ़ाना
  • उद्योगों की जरूरत के अनुसार वर्कफोर्स तैयार करना
  • ग्रामीण और पिछड़े क्षेत्रों में समावेशी स्किलिंग को बढ़ावा देना
  • जीवन भर सीखने (Lifelong Learning) की संस्कृति को बढ़ावा देना

  • आर्थिक व गैर-आर्थिक प्रोत्साहन (Incentives):
    उद्योगों और छात्रों दोनों को स्किलिंग के लिए प्रोत्साहन देने की योजना है। इसमें स्कॉलरशिप, स्टाइपेंड, ट्रेनिंग इंफ्रास्ट्रक्चर सपोर्ट आदि शामिल हैं।
  • इंडस्ट्री से लिंक्ड कोर्स:
    पॉलिसी में प्रस्ताव है कि स्किल कोर्स सीधे उद्योगों के साथ जोड़े जाएं ताकि युवाओं को कोर्स पूरा करने के बाद तुरंत नौकरी मिल सके।
  • स्कूलों से ही स्किलिंग की शुरुआत:
    कक्षा 6 से ही स्किल्स की झलक देने और बाद में वोकेशनल स्ट्रीम की ओर मार्गदर्शन देने पर जोर।
  • टेक्नोलॉजी-सक्षम स्किलिंग:
    AI, Machine Learning, Robotics जैसे क्षेत्रों को शामिल कर भविष्य की नौकरियों के लिए युवाओं को तैयार करना।
  • ग्रीन और डिजिटल जॉब्स पर फोकस:
    जलवायु परिवर्तन और डिजिटल इंडिया के तहत पर्यावरण-अनुकूल और डिजिटल स्किल्स को प्राथमिकता देना।

  • छात्र: उन्हें पढ़ाई के साथ-साथ करियर के अनुकूल स्किल्स मिलेंगी।
  • युवक-युवतियाँ: बेरोजगारी कम होगी और स्वरोजगार की संभावनाएं बढ़ेंगी।
  • उद्योग: उन्हें प्रशिक्षित और सक्षम मानव संसाधन मिलेगा।
  • NGO और ट्रेनिंग पार्टनर्स: उन्हें नीति के तहत समर्थन मिलेगा।

कैसे दें सुझाव?

MSDE ने आम जनता, शिक्षाविदों, इंडस्ट्री विशेषज्ञों और प्रशिक्षण प्रदाताओं से सुझाव मांगे हैं। यह पॉलिसी अभी ड्राफ्ट फॉर्म में है और आने वाले दिनों में इसमें सुझावों के आधार पर बदलाव हो सकते हैं।

राष्ट्रीय स्किल पॉलिसी 2025–2035 भारत की युवा शक्ति को कौशलयुक्त बनाकर उन्हें वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए तैयार करने की दिशा में एक विजनरी कदम है। यह न केवल रोजगार बढ़ाने में मदद करेगी, बल्कि भारत को दुनिया की स्किल कैपिटल बनाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।

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